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संत कबीरदास की जीवनी - कहत कबीर संकलन

कबीर हिंदी साहित्य के महिमामण्डित व्यक्तित्व हैं। कबीर के जन्म के संबंध में अनेक किंवदन्तियाँ हैं। कुछ लोगों के अनुसार वे रामानन्द स्वामी के आशीर्वाद से काशी की एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से पैदा हुए थे, जिसको भूल से रामानंद जी ने पुत्रवती होने का आशीर्वाद दे दिया था। ब्राह्मणी उस नवजात शिशु को लहरतारा ताल के पास फेंक आयी।

कबीर के माता- पिता के विषय में एक राय निश्चित नहीं है कि कबीर "नीमा' और "नीरु' की वास्तविक संतान थे या नीमा और नीरु ने केवल इनका पालन- पोषण ही किया था।  कहा जाता है कि नीरु जुलाहे को यह बच्चा लहरतारा ताल पर पड़ा पाया, जिसे वह अपने घर ले आया और उसका पालन-पोषण किया। बाद में यही बालक कबीर कहलाया।

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विश्वव्यापी कबीर - रोहित कुमार 'हैप्पी'

कबीर (1398-1518) 15वीं शताब्दी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। उनके लेखन ने हिंदू धर्म के भक्ति आंदोलन को प्रभावित किया। काव्य में उनके दो रूप दिखाई पड़ते हैं -सुधारक रूप तथा साधक (या भक्त) रूप। 
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अस्वीकार का साहस  - नामवर सिंह

हजारीप्रसाद द्विवेदी का नाम कबीर के साथ उसी तरह जुड़ा है जैसे तुलसीदास के साथ रामचंद्र शुक्‍ल का। हिंदी में द्विवेदीजी पहले आदमी हैं जिन्‍होंने यह घोषणा करने का साहस किया कि ''हिंदी साहित्‍य के हजारों वर्षों के इतिहास में कबीर जैसा व्‍यक्तित्‍व लेकर कोई लेखक उत्‍पन्‍न नहीं हुआ। महिमा में यह व्‍यक्तित्‍व केवल एक ही प्रतिद्वन्‍द्वी जानता है, तुलसीदास।'' (कबीर, पृ. 222) यदि हजारीप्रसाद द्विवेदी के ''कबीरदास बहुत कुछ को अस्‍वीकार करने का अपार साहस लेकर अवतीर्ण हुए थे'' (पृ. 7) तो 'कबीर' के हजारीप्रसाद में भी यह साहस कम नहीं है।
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